महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– देन चार वेद और उनके पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का उपदेश
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Manmohan Kumar AryaDate
03-Mar-2016Category
शंका समाधानLanguage
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UmeshUpload Date
05-Mar-2016Download PDF
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महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का मारà¥à¤— कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ चà¥à¤¨à¤¾? इसका उतà¥à¤¤à¤° है कि उनके समय में देश व संसार के लोग असतà¥à¤¯ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के मारà¥à¤— पर चल रहे थे। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यथारà¥à¤¥ सतà¥à¤¯ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं था जिससे वह जीवन के सà¥à¤–ों से रहित मोकà¥à¤· के सà¥à¤– से à¤à¥€ सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ अपरिचित थे। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ शारीकि बल और पूरà¥à¤£ विदà¥à¤¯à¤¾ से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¥à¤· थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देखा कि सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के महारोग से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ है। उनमें सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ जानने व समà¤à¤¨à¥‡ का योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ नहीं है। अतः अविदà¥à¤¯à¤¾ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का नाश करने के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने असतà¥à¤¯, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ के खणà¥à¤¡à¤¨ और सतà¥à¤¯, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व सामाजिक उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का मणà¥à¤¡à¤¨ किया। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ उनकी इस पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ करता है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के पहले 10 समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ सतà¥à¤¯ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के मणà¥à¤¡à¤¨ करते हैं तथा शेष चार समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ असतà¥à¤¯, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ का खणà¥à¤¡à¤¨ करते हैं। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ थे, दयालॠथे, ईशà¥à¤µà¤° का यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रखने वाले ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤•à¥à¤¤ थे तथा वह जीवातà¥à¤®à¤¾ का यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ रखते थे। योग व धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ आदि का पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· किया था। à¤à¤¸à¤¾ विवकेशील धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ सतà¥à¤ªà¥à¤°à¥à¤· किसी à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को दà¥à¤ƒà¤–ी नहीं देख सकता। दà¥à¤–ियों को देख कर वह सà¥à¤µà¤¯à¤‚ दà¥à¤–ी होते थे। वह सबको अपने समान ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ आदि का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर सà¥à¤–ी व आननà¥à¤¦à¤¿à¤¤ करना चाहते थे। इसी कारण उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सतà¥à¤¯ व यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने के लिठईशà¥à¤µà¤° से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ चार वेदों के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने का निरà¥à¤£à¤¯ किया। यदि वह à¤à¤¸à¤¾ न करते तो उनको चैन वा सà¥à¤–-शानà¥à¤¤à¤¿ न मिलती। यदि à¤à¤• सचà¥à¤šà¥‡ डाकà¥à¤Ÿà¤° के पास किसी रोगी को ले जाया जाये तो वह डाकà¥à¤Ÿà¤° कà¥à¤¯à¤¾ करेगा। कà¥à¤¯à¤¾ उस रोगी को मरने के लिठछोड़ देगा व उसकी चिकितà¥à¤¸à¤¾ कर उसे सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ करेगा। सà¤à¥€ जानते हैं कि सचà¥à¤šà¤¾ डाकà¥à¤Ÿà¤° रोगी को सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ करने के उपाय करेगा। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• जो जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ है, वह अपने व अपने लोगों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दूर करेगा। जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ होने का यही अरà¥à¤¥ होता है कि वह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° करे और अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ को नषà¥à¤Ÿ करे। हम यह à¤à¥€ देखते हैं कि जब कोई अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से पीडि़त होता है तो वह किसी शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की शरण में जाता है और उससे अपनी रकà¥à¤·à¤¾ की विनती करता है। धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से पीडि़त वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की रकà¥à¤·à¤¾ करना अपना धरà¥à¤® वा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ समà¤à¤¤à¤¾ है। यह सब गà¥à¤£ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी में थे अतः उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¤à¥€ असहाय व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के रोग से पीडि़त लोगों को वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ देकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व शकà¥à¤¤à¤¿ से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ बनाया। हम व अनà¥à¤¯ सहसà¥à¤°à¥‹à¤‚ मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ उनके जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से उनकी मृतà¥à¤¯à¥ के सौ से अधिक वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ बाद à¤à¥€ लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤ हैं। उनका यह कारà¥à¤¯ ही उनको विशà¥à¤µ में आज à¤à¥€ जीवित व अमर रखे हà¥à¤ है। यदि वह à¤à¤¸à¤¾ न करते तो आज हम अनà¥à¤¯ करोड़ों लोग उनका नाम à¤à¥€ न जानते, उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ व आदर रखने का तो तब पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ ही नहीं था। अतः महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के रोग से पीडि़त अपने देशवासी बनà¥à¤§à¥à¤“ं किंवा मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° के अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ के रोग को दूर करने के लिठवेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का मारà¥à¤— चà¥à¤¨à¤¾ और उसे अपूरà¥à¤µ रीति से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया।
यदि हम सूरà¥à¤¯ पर दृषà¥à¤Ÿà¤¿ डाले तो हम पाते हैं कि सूरà¥à¤¯ में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ व दाहक शकà¥à¤¤à¤¿ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ गरà¥à¤®à¥€ व ऊरà¥à¤œà¤¾ है। सूरà¥à¤¯ में आकरà¥à¤·à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ है। अपने इन गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का सूरà¥à¤¯ अपने लिठपà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— नहीं करता अपितॠवह इससे संसार व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ मातà¥à¤° को लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ करता है। यदि सूरà¥à¤¯ न होता तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ à¤à¥€ न होता। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से वायॠपर विचार करने पर जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि वायॠपदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को जलाने में सहायक व समरà¥à¤¥ होने सहित वह मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जीवित रखने में à¤à¥€ सहायक है। वायॠका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ अपने लिठकà¥à¤› à¤à¥€ नहीं है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से जल, पृथिवी व समसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¤œà¤—त है जो सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के लिठकà¥à¤› नहीं अपितॠमनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व अनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठही अपने जीवन को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हैं। यदि सारा संसार व इसके सà¤à¥€ पदारà¥à¤¥ परोपकार कर रहे हैं तो कà¥à¤¯à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ का यह करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ नहीं है कि उसमें ईशà¥à¤µà¤° ने जिन गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को दिया है, उससे वह à¤à¥€ अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का उपकार करे। यह अवशà¥à¤¯ करणीय है और परोपकार करना ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ का धरà¥à¤® सिदà¥à¤§ होता है। मत व धरà¥à¤® परसà¥à¤ªà¤° सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ हैं। मत का कà¥à¤› à¤à¤¾à¤— धरà¥à¤® को à¤à¤• अंग के रूप में अपने à¤à¥€à¤¤à¤° लिठहà¥à¤ होता है लेकिन वेदमत जो कि ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ मत है, उसे छोड़ कर कोई à¤à¥€ मत सरà¥à¤µà¤¾à¤‚श में पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ धरà¥à¤® नही होता। यदि मतों में से अविदà¥à¤¯à¤¾ व उनके सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पूरà¥à¤µà¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ को हटा दिया जाये और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वेदानà¥à¤•à¥‚ल बनाया जाये, तब ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धरà¥à¤® के निकट लाया जा सकता है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ पौराणिक मत में जनà¥à¤®à¥‡ थे। शिवरातà¥à¤°à¤¿ की घटना से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लगा कि ईशà¥à¤µà¤° की पूजा की यह रीति उपासना की सही रीति नहीं है। अतः उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उसका तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर दिया और सतà¥à¤¯ की खोज की। सतà¥à¤¯ की खोज करते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना का सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® साधन योग पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ इसका अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ कर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° व उसका पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· à¤à¥€ किया जिसे उनके जीवन के लकà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ से जाना जा सकता है। अपनी विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की तीवà¥à¤° इचà¥à¤›à¤¾ को पूरी करने के लिठवह योगà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤“ं की तलाश करते रहे जो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ 35 वरà¥à¤· की अवसà¥à¤¥à¤¾ में मथà¥à¤°à¤¾ के गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ जी के रà¥à¤ª में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ और उनके सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ में तीन वरà¥à¤· रहकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€-महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ पर पूरà¥à¤£ अधिकार पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। वैदिक साहितà¥à¤¯ का कà¥à¤› अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ वह पहले कर चà¥à¤•à¥‡ थे और इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¥ƒà¤¦à¥à¤§à¤¿ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में उन सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ को जानकर वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। हमारे अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के आधार पर यह निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· निकलता है कि महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में विदà¥à¤¯à¤¾ व योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ से ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ की शीरà¥à¤· सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ असमà¥à¤ªà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ समाधि को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया था। यह सब पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर उनके जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ पूरा हो गया था। अब अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रूपी अकà¥à¤·à¤¯ धन को दान करने का अवसर था जिसे गà¥à¤°à¥ वा ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देश-देशानà¥à¤¤à¤° में पूरी उदारता व निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· à¤à¤¾à¤µ से वितरित किया।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने जो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया था उसे हम जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पराकाषà¥à¤ ा की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ समà¤à¤¤à¥‡ हैं। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में कहा गया है कि ‘जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से बढ़कर पवितà¥à¤° व मूलà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨ संसार में कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं है।’ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का दान सब दानों में पà¥à¤°à¤®à¥à¤– व महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है। जो कारà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से हो सकता है वह धन से कदापि नहीं हो सकता। धन से किसी को बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, बलवान, निरोग, वेदजà¥à¤ž, सतà¥à¤ªà¥à¤°à¥à¤·, धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ नहीं बनाया जा सकता। इन व à¤à¤¸à¥‡ सà¤à¥€ कारà¥à¤¯à¥‹ के लिठजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से ही अपनी आतà¥à¤®à¤¾ को जानने के साथ ईशà¥à¤µà¤° व संसार को à¤à¥€ जाना जा सकता है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ अà¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ व मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की मृतà¥à¤¯à¥ के बाद à¤à¥€ आतà¥à¤®à¤¾ के साथ जाता है जबकि सारे जीवन में अनेक कषà¥à¤Ÿ उठाकर कमाया गया धन यही छूट जाता है। धन मनà¥à¤·à¥à¤¯ में अहंकार व अनेक दोषों को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करता है। धन की तीन गति हैं। दान, à¤à¥‹à¤— व नाश। धन को यदि सदाचार पूरà¥à¤µà¤• न कमाया जाये और दान न किया जाये तो वह इस जनà¥à¤® व परजमà¥à¤¨ में अवनति व दà¥à¤ƒà¤–ों का कारण बनता है इस पर हमारे सà¤à¥€ ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ व शासà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¤• मत हैं। अतः जीवन की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के लिठपरा व अपरा वा आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• और सांसारिक दोनों पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को होना चाहिये। यही सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अपने जीवन में दिया था जो आज à¤à¥€ पूरà¥à¤µ की तरह सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¤µà¥‚रà¥à¤£ à¤à¤µà¤‚ उपयोगी है। हम देश की वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में जो उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ देखते हैं उसमें महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ का पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µà¥‚परà¥à¤£ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने संसार के लोगों को विसà¥à¤®à¥ƒà¤¤ सतà¥à¤¯ वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से परिचित कराने के अतिरिकà¥à¤¤ सà¤à¥€ अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚, कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ जिनमें मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा, फलितजà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·, मृतक शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§, मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ व नदियों रूपी तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨, सामाजिक असमानता, अशिकà¥à¤·à¤¾ आदि का खणà¥à¤¡à¤¨ किया और निराकार ईशà¥à¤µà¤° की योग व धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ विधि से उपासना, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ दूर रहने, अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश व विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ करने, नारी समà¥à¤®à¤¾à¤¨, समानता, देशपà¥à¤°à¥‡à¤®, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ सहित सà¥à¤ªà¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व धन आदि के दान की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ दी। उनका सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ है कि वेद ही सब सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं, परा व अपरा विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हैं। इनका पढ़ना-पढ़ाना, सà¥à¤¨à¤¨à¤¾-सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾ व सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करना ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ का परम धरà¥à¤® है। जिन बातों से असमानता उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो, पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ व अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ हो वह कà¤à¥€ à¤à¥€ धरà¥à¤® नहीं हो सकती। ईशà¥à¤µà¤° की उपासना के लिठपवितà¥à¤° जीवन व शà¥à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ चाहिये। उपासना व ईशà¥à¤µà¤° के धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ के लिठबड़े-बड़े à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ व मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं है। यदि महरà¥à¤·à¤¿ दयननà¥à¤¦ की इन शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं को जीवन में सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया जाये तो इससे विशà¥à¤µ का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ हो सकता है। उनकी बातों को न मानने के कारण ही आज विशà¥à¤µ में सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° अशानà¥à¤¤à¤¿ व सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ कारà¥à¤¯ ही सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° होते दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर हो रहे हैं जो वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में अनिषà¥à¤Ÿ का सूचक है।
फालà¥à¤—à¥à¤¨ कृषà¥à¤£ दशमी (4 मारà¥à¤š, 2016) को महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ का जनà¥à¤® दिवस और फालà¥à¤à¥à¤—à¥à¤¨ कृषà¥à¤£à¤¾ चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ (7 मारà¥à¤š, 2016) को ऋषि बोधोतà¥à¤¸à¤µ परà¥à¤µ हैं। इस अवसर पर महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के जीवन से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेकर वेदों के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का वà¥à¤°à¤¤ लेना सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को लेना चाहिये जिससे देश व संसार की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ सहित मनà¥à¤·à¥à¤¯ का यह जनà¥à¤® व परजनà¥à¤® उनà¥à¤¨à¤¤ होगा। इसी के साथ लेख को विराम देते हैं।
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